14 December 2008

FAQ LIST / अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. जागो पार्टी के पीछे कौन लोग हैं?

2. क्या जागो पार्टी चुनाव आयोग में पंजीकृत है? क्या इसके प्रतीक, झंडा और चुनाव चिन्ह हैं?

3. पार्टी के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

4. क्या पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है?पार्टी में अधिकारियों का चयन कैसे होता है?

5. आपकी नीतियाँ और सुझाव तो अच्छे हैं पर क्या ऐसा किया जा सकता है?

6. पार्टी के धन के स्त्रोत क्या हैं? स्थापित पार्टियों द्वारा खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपयों का मुकाबला आप कैसे करेंगे?

7. पार्टी चुनावों में होने वाले खर्चों को कैसे पूरा करेगी?

8. आप अपनी पार्टी को कैसे लोकप्रिय बना रहे हैं?

9. मैं पार्टी का सदस्य कैसे बन सकता हूँ?

10. पार्टी के एक सदस्य की भूमिका क्या है?

11. मैं सिद्धांत रूप में पार्टी की नीतियों का समर्थन करता हूँ पर मैं इसका सदस्य नही बन सकता. मैं पार्टी के लिए क्या कर सकता हूँ?

12. क्या आप स्थानीय मुद्दों को उठाते हैं?

13. आप सभी को नौकरी कैसे देंगे?

14. अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर जागो पार्टी का रुख क्या है?

15. आप हमारी शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा के अलावा और क्या बदलाव लाना चाहते हैं? क्या अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा देने से हमारी संस्कृति खतरे में नही पड़ जाएगी?

16. आरक्षण के किन प्रावधानों को आप हटाना चाहते हैं? इस मुद्दे पर वर्तमान कानूनी स्थिति क्या है?

17. कुछ जातियों के साथ सदियों से भेदभाव होता आया है, आरक्षण नीति इस भेदभाव द्वारा पैदा हुई खाई को पाटने के लिए लाई गई थी आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?

18. देश की लगभग 70-80% आबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग है. यदि आप आरक्षण का विरोध करेंगे तो ये लोग आपका समर्थन नही करेंगे, तब आप चुनाव कैसे जीतेंगे?

19. आतंकवाद से लड़ने के लिए आपको पोटा जैसा क़ानून क्यों चाहिए?

20. क्या गारंटी है कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस कानून का राजनैतिक स्वार्थों के लिए दुरूपयोग नही होगा?

21. आप पुलिस को और अधिक शक्तियां देने के पक्षधर क्यों हैं?

22. कश्मीर समस्या पर आपका रुख क्या है?

23. क्या आप समान नागरिक संहिता लागू करेंगे?

24. आप प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार क्यों देना चाहते हैं?

25. व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने से समाज में अनैतिकता नही बढेगी?

26. ऐसा माना जाता है कि भारत के अरबों रुपए काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा हैं, इस पैसे को वापस भरत लाने के लिए आपके पास क्या योजना है?

27. आप बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का समर्थन करते हैं, क्यों?

28. ३ महीनों में कोर्ट के फैसले आप कैसे सुनिश्चित करेंगे? और इतने सारे लंबित मामले हैं उनका क्या होगा?

29. आप जजों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को कैसे रोकेंगे?

30. जहाँ दुनिया के कई देश मृत्युदंड को ख़त्म कर रहे हैं वहीं आप इसकी वकालत कर रहे हैं? क्या आप मानवीय दृष्टिकोण से दूर नही जा रहे?

31. भ्रष्टाचार को ख़त्म करना आपका एक प्रमुख मुद्दा है, आप यह कैसे करेंगे?

32. सभी वोटरों को छः सौ रूपए (रु. ६००/-) प्रति माह की सब्सिडी देने के पीछे क्या तर्क है?

33. आप यह सब्सिडी उन लोगों को क्यों देना चाह्ते हैं जो गरीब नही हैं?

34. इस नगद सब्सिडी के लिए क्या-क्या शर्तें हैं?

35. इस नगद सब्सिडी को देने का पैसा कहाँ से आएगा, जब आप टैक्स दर भी कम करने की बात करते हैं?

36. जागो पार्टी के अनुसार भारत में बेरोज़गारी और गरीबी के क्या कारण हैं?

37. पर क्या गरीबी और बेरोज़गारी को दूर करने के लिए सरकार को स्वयं ही योजनाएं नही बनानी चाहिए?

38. आप लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का भी निजीकरण करना चाहते हैं, ऐसा क्यों?

39. निजी उद्यमों को नियंत्रित करने के लिए आप किसी नियामक तंत्र के पक्ष में हैं कि नही?

40. कराधान में आप क्या बदलाव लाना चाहते हैं? टैक्स दरों में कटौती से होने वाली आय में कमीं की पूर्ति आप कैसे करेंगे?

40A. आप भारत को खाद्यान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर कैसे बनाएँगे?

41. आप भारत में प्रदूषण कैसे कम करेंगे?

42. भारत पिछले पचास सालों से गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाता आया है, आप इसको क्यों हटाना चाहते हैं?

43. क्या गुट-निरपेक्षता किसी देश के सत्तावादी शासन को हटा सकती है?


(Translated by Jago Party's Bhopal Chapter)

FAQ 43

43. क्या गुट-निरपेक्षता किसी देश के सत्तावादी शासन को हटा सकती है?
नही, क्योंकि ऐसा करना उस देश के आतंरिक मामलों में दखल देना होगा, और उस शासन के ख़िलाफ़ सैन्य गठबंधन गुट-निरपेक्षता की भावना के सख्त ख़िलाफ़ है, गुट-निरपेक्षता की सबसे बड़ी कमी यही है, कि किसी देश का शासन वहाँ कि जनता पर अपने विचार थोप रहा है या अत्याचार कर रहा है या जनता द्वारा निर्वाचित नही है, तब भी यह आतंरिक मामला है और इसको हल करने कि ज़िम्मेदारी वहाँ कि जनता की है.
उदहारण के लिए अफगानिस्तान को ही ले लीजिये, नाटो की फौजें वहाँ तालिबान और अल काएदा से लड़ रही हैं पर किसी भी गुट-निरपेक्ष देश की फौज वहाँ नही है. यह आकस्मिक नहीं है वरन यह गुट-निरपेक्षता की अन्तर्निहित भावना है, जो हर मुद्दे को शांतिपूर्वक निपटाना चाहती है. वो कहीं भी युद्ध करना नही चाहती और कर भी नही सकती.
गुट-निरपेक्ष देशों ने अब तक सिर्फ़ हर मुद्दे पर अपनी राय बताई है, किसी भी हिंसक विचारधारा को आप 'गंभीर चिंता व्यक्त करके' या 'केवल शांतिपूर्ण साधनों के द्वारा' बोलकर नही रोक सकते. उसका मुकाबला एकजुट होकर, रणनीति बनाकर बल का उपयोग करके ही सम्भव है.
गुट-निरपेक्षता तो देशों के राष्ट्रीय हितों (सुरक्षा, शान्ति और स्वतंत्रता) के ख़िलाफ़ है क्योंकि वो हिंसक विचारधारा के बारे में चुप है और इससे निपटने के लिए कोई भी नीति गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के पास नही है.
भारत इस विचारधारा को ५० वर्षों तक ढोता रहा पर एक भी युद्ध, एक भी हिंसक विचारधारा को रोक नही पाया, उल्टे इसपर भरोसा करके बार-बार धोखे खाता रहा, इसको हमारी विदेश नीति से हमेशा के लिए निकल देना चाहिए.

FAQ 42

42. भारत पिछले पचास सालों से गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाता आया है, आप इसको क्यों हटाना चाहते हैं?
गुट-निरपेक्षता के अनुसार कोई भी देश किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल नही देगा, आत्म-रक्षा के अलावा किसी भी सूरत में हमला नही करेगा और किसी भी विवाद को आपसी बातचीत से निपटाया जाएगा.
गुट-निरपेक्षता की सार्थकता शीत युद्ध के दौरान थी जब संसार दो धडों में बँटा हुआ था, एक अमरीका दूसरा सोविअत रूस. पर सोविअत रूस के बिखरने के बाद इसकी सार्थकता ख़त्म हो गई है.
गुट-निरपेक्षता तभी काम कर सकती है जब सभी देश शांतिपूर्ण विचारधाराओं का अनुसरण करें पर आज हिसक विचाधारा का बोलबाला है, जे हिंसा द्वारा बदलाव लाने की पक्षधर है. गुट-निरपेक्षता इस स्थिति में कुछ भी करने में सक्षम नही है, क्योंकि वो इनको रोकने के लिए हिंसा का सहारा नही लेना चाहती, यहाँ तक की अगर कोई दूसरा गुट-निरपेक्ष देश इस हमले का शिकार होता है तो भी उसको सैन्य सहायता नही दी जाती.जिन मूल्यों की रक्षा के लिए गुट-निरपेक्षता का जन्म हुआ था वह उन्ही के ख़िलाफ़ उपयोग में आती है.
उदहारण के तौर पर, जब सोविअत रूस ने वियतनाम, क्यूबा, लोस, अफगानिस्तान आदि देशों में ज़बरजस्ती साम्यवाद फैलाने की कोशिश की तब एक भी गुट-निरपेक्ष देश इनकी मदद के लिए सामने नही आया.

FAQ 41

41. आप भारत में प्रदूषण कैसे कम करेंगे?
हम प्रदूषण को कम करने के लिए बेहद सख्त क़ानून बनाएंगे और इनका कार्यान्वयन निजी एजेंसियों द्वारा करवाया जाएगा. जुर्माने का ९०% हिस्सा इन एजेंसियों के पास फीस के रूप में जाएगा, इस प्रकार रिश्वत देकर कोई इनसे बच नही पाएगा और यदि इनके ख़िलाफ़ हुई गडबडी की शिकायत सही पाई जाती है तो तुंरत इनको हटाया जाएगा.
इसके अलावा सिगरेट बनाने , बेचने और पीने पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा, क्योंकि इससे न सिर्फ़ वायु प्रदूषण होता है पर साथ ही निष्क्रिय धूम्रपान के कारण लोग स्वच्छ हवा के अपने अधिकार से वंचित हो जाते हैं, जो बीमारियाँ मिलती हैं सो अलग. यदि भविष्य में ऐसा सम्भव हो की किसी के धूम्रपान करने से दूसरे व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ता तो इसपर से प्रतिबन्ध हटा लिया जाएगा.
जहाँ तक वनों का सवाल है, सरकार इस काम को स्वयं करेगी और कुल क्षेत्रफल का ३०% वन हों यह सुनिश्चित करेगी,यह काम गैर सरकारी संगठनों पर नही छोड़ा जा सकता क्योंकि उनके संसाधन और ऊर्जा सीमित होते हैं, इस काम में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त निजी एजेंसियों को लगाया जाएगा जिनका चुनाव वैश्विक निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा. इसमे नए और मौजूद दोनों तरह के वन सम्मलित हैं, एजेंसियां इको-पर्यटन, वनोपज बेचकर, शोध आदि को बढ़ावा देकर आमदनी प्राप्त कर सकती हैं. साल में एक बार जंगली जानवरों की गिनती की जाएगी और यदि उनकी संख्या में कमी पाई जाती है तो उस एजेंसी का लाइसेंस रद्द किया जाएगा, और उसपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा, इसके साथ-साथ आपराधिक मुकदमा भी चलाया जाएगा.

FAQ 40

40. आप भारत को खाद्यान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर कैसे बनाएँगे?
भूमि अधिग्रहण कानून, जोत का छोटा आकार, किसानों का निरक्षर-निर्धन होने और सही तकनीक और प्रौद्योगिकी की जानकारी का न होना आदि कुछ प्रमुख कारण है जिससे खेती हमारे देश में उद्योग नही बन पाई है. विकसित देशों के मुकाबले हमारी उपज काफ़ी कम है, खेती अब तक निर्वाह का साधन है न की मुनाफे का.
सरकार के कई कदम उठाने के बाद भी हमारी खेती वहीं की वहीं है: क्या सब्सिडी, क्या लोन, क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य, क्या सिंचाई की सुविधाएँ, सभी कृषि को निर्वाह के स्तर से ऊपर उठाने में असफल रही. स्थिति तो इतनी ख़राब है की किसान लिया हुआ ऋण (लोन) तक चुकाने में असमर्थ हैं और मजबूरी में आत्महत्या कर रहे हैं, ज़रा सोचिये दुनिया की सबसे बड़ी और उपजाऊ ज़मीन, और किसानों की आत्महत्या दूसरी तरफ़ तो तीसरी तरफ़ भुखमरी से मरते लोग.
इसके लिए भ्रष्टाचार भी उतना ही जिम्मेदार है जितना की बिजले की कमी और अनुपलब्धता.
इसका समाधान बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट खेती या फ़िर अनुबंध खेती है, भूमि की खरीद पर कोई उच्चतम सीमा ना हो जो भी निजी उद्यमी या कारपोरेट घराना ज़मीन खरीदना चाहता हो वो सीधे बाज़ार दर पर छोटे किसानो से या तो खरीद ले या अनुबंध करके किराये पर ले ले.
खेती को एक उद्योग की तरह विकसित करने से अधिकाधिक निवेश, नवीनतम ज्ञान और तकनीक का प्रयोग, बड़े स्तर पर भण्डारण और विपणन की क्षमता और मुनाफा युक्त बिक्री. इससे जुड़े हुए उद्योगों और धंधों जैसे डेरी, फल-फूल, शहद, मुर्गी-पालन आदि का भी विकास आधुनिक तरीके से होता जाएगा.
इस प्रकार आज की हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था एक आधुनिक शहरी अर्थव्यवस्था में बदल जाएगी.

FAQ 40

40. कराधान में आप क्या बदलाव लाना चाहते हैं? टैक्स दरों में कटौती से होने वाली आय में कमीं की पूर्ति आप कैसे करेंगे?
भारत में इस समय ५० प्रकार के टैक्स हैं, इनको घटाकर १० किया जा सकता है. इसके अलावा टैक्स की दरें भी हमारे देश में बहुत अधिक हैं व्यक्तिगत आयकर ३०%, कारपोरेट टैक्स ३३%, आदि. सभी टेक्सों को घटाकर १०% कर दिया जाएगा और व्यक्तिगत आयकर की निकली सीमा को ४ लाख रूपए किया जाएगा.
टेक्सों की संख्या और दरों में कटौती के साथ टेक्स प्रक्रिया के सरलीकरण से पूँजी बढेगी जिससे रोज़गार बढेगा और विकास की दर तेज़ होगी, जिससे स्वतः टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ जाएगी, इसके कारण टैक्स कम होने की बजाए बढेगा.

FAQ 39

39. निजी उद्यमों को नियंत्रित करने के लिए आप किसी नियामक तंत्र के पक्ष में हैं कि नही?
जी हाँ बिल्कुल पक्ष में हैं, सरकार अपने मुख्य कार्यों के अलावा इस तरह के नियामक तंत्रों का गठन भी करेगी जिससे:
१. देश और लोगों कि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके,
२. प्रदुषण को रोका जा सके,
३. उत्पादकों द्वारा सह-उत्पादकों, कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ किए जा सकने वाले अनैतिक आचरण को रोकना.
४. इसके अलावा, सभी क्षेत्रों में मानकों को प्रमाणिक करना और उद्योगों को इनतक पहुँचने के लिए प्रोत्साहित करना.
पर राष्टीय सुरक्षा और उस क्षेत्र में जिसमे कोई उद्यमी सामने ना आया हो, को छोड़कर अन्य सभी क्षत्रों से सरकार बाहर रहेगी.

FAQ 38

38. आप लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का भी निजीकरण करना चाहते हैं, ऐसा क्यों?
ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो लाभ कमा रहे हैं उनको उस क्षेत्र में एकाधिकार प्राप्त है, जैसे रेल, खनिज संसाधन, आदि. अब इसका यह मतलब तो नही की वो लाभ के साथ-साथ ग्राहक-संतुष्टि पर भी ध्यान दे रहे हैं, रेल को ही ले लें क्या आपकी यात्रा टिकट लेने से लेकर स्टेशन के बाहर निकलने तक सुखद होती है? इसके पीछे एक साधारण सी बात है, सार्वजनिक उपक्रम सरकारी विभागों की तरह काम करते हैं ना की निजी उपक्रमों की तरह जिनका मुनाफा ग्राहक के संतुष्ट होकर जाने से ही सुनिश्चित होता है.
वैसे भी सार्वजनिक उपक्रमों फैदा कमाने या फ़िर ग्राहकों की सेवा के लिए नही बनाया गया था, बल्कि वो तो भारत को कुछ क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाए गए थे. उस समय यह बात मानी भी जा सकती थी की निजी क्षेत्र के पास पूँजी का अभाव है पर ये बात आज मान्य नही है. भारत के अन्दर और बाहर दोनों जगह पूँजी और तकनीक लगाने वालों की अब कमी नही, फ़िर भी हम इन सफ़ेद हाथियों को ढोए चले जा रहे हैं और जनता की सहूलियत को दरकिनार कर रहे हैं.

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