13 December 2008

FAQ 31

31. भ्रष्टाचार को ख़त्म करना आपका एक प्रमुख मुद्दा है, आप यह कैसे करेंगे?
ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल द्वारा २००७ में करवाए गए एक सर्वे में ३२% भारतियों ने रिश्वत देना स्वीकार, जब यह आंकडा कई देशों में २% के पास था. पूर्व प्रधान मंत्री स्व. राजीव गाँधी ने कहा था की सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक रुपए का सिर्फ़ १५ पैसा ही जनता तक पहुँचता है बाकी ८५ पैसा भ्रष्टाचारियों की जेबों में जाता है.
सरकारी भ्रष्टाचार दो प्रकार से होता है:
१. परितोषण: जनता का काम करने के बदले अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगना. यह समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि निजी क्षेत्र की तरह यहाँ ग्राहक की संतुष्टि अधिकारियों/कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य सुविधाओं से नही जुड़ी हुई है, उनको एक तारीख को पैसा मिलना ही है फ़िर चाहे वो कैसा भी काम करें.
२. दुर्विनियोजन: सरकारी योजनाओं से जनता के लिए आने वाले पैसे को फर्जीवाडा करके गायब कर देना.
इसको ध्यान में रखकर जागो पार्टी ने भ्रष्टाचार से निपटने की योजना बनाई है, परितोषण के लिए प्रावधान: पहले तो अधिकतर क्षेत्र जिनमे सरकार की ज़रूरत नही है, जो निजी क्षेत्र कर सकता है, वो सभी क्षेत्र निजीकरण द्वारा निजी क्षेत्र को हस्तांतरित किए जाएंगे. इसके अलावा विभागों और आफिसों के जनता के संपर्क में आने वाले हिस्से को भी निजी क्षेत्र को दिया जाएगा, जैसे पासपोर्ट कार्यालय, पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी, संपत्तियों का पंजीकरण, आदि. सारे सरकारी विभागों को पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा, जिससे जनता की साड़ी जानकारी जनता के पास २४ घंटे उपलब्ध हो. सरकार में छुपे हुए भ्रष्टाचारियों को पहचानने के लिए निजी जासूस एजेंसियां लगाई जाएंगी और सबूतों की गुणवत्ता के आधार पर उनको भुगतान किया जाएगा. भ्रष्टाचारियों को तुंरत नौकरी से निकाला जाएगा और उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी और एक सीमा (जैसे रु. १० करोड़) से अधिक की कुल अवैध्य संपत्ति मिलने पर मृत्युदंड का प्रावधान.
दुर्विनियोजन के लिए: जागो पार्टी सभी प्रकार की योजनाओं और सब्सिडियों को बंद करके उन सभी से होने वाले प्रति व्यक्ति लाभ को सीधे लोगों को दे देगी, इससे सरकारी फाइलों को बनाने, संभालने, आगे-बढ़ाने वाले करोड़ों रिश्वतखोर बाबुओं की ज़रूरत नही होगी और भ्रष्टाचार में भी भारी कमी आएगी.

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