13 December 2008

FAQ 37

37. पर क्या गरीबी और बेरोज़गारी को दूर करने के लिए सरकार को स्वयं ही योजनाएं नही बनानी चाहिए?
नही, हमारा मानना है की ज्यादातर सरकारी योजनाएं अक्षम, व्यर्थ और भ्रष्टाचार से भरी होती हैं. पहले तो इनको चलाने के लिए भारी टैक्स लगाए जाते हैं, जो पैसा पूँजी बनकर मुनाफा और रोज़गार बनके सामने आता वो सरकारी खाज्हने में चला जाता है, टैक्स उगाही में भ्रष्टाचार, सही नीतियों और योजनाओं को न चुनना और योजना के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार करके पूरी योजना और उसके पीछे विकास की भावना को मटियामेट कर दिया जाता है.
भारत सरकार का इस साल का बजट ५ लाख करोड़ से ज्यादा का था, ज़रा सोचिये अगर ये पैसा जनता के पास होता तो क्या हमारे देश की तस्वीर थोडी अलग होती. ६० सालों की कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं की "सफलता" वजह से आज हम प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति समानता के आधार पर) १७९ देशों में १२६ वें स्थान पर खड़े हैं.
इससे साफ़ पता चलता है की हमारी आर्थिक नीतियाँ ग़लत रही हैं, निजी उद्योगों को बढ़ावा देकर की हम गरीबी और बेरोज़गारी को ख़त्म कर सकते हैं.

FAQ 36

36. जागो पार्टी के अनुसार भारत में बेरोज़गारी और गरीबी के क्या कारण हैं?
भारत में इस समय ३०% लोग बेरोजगार हैं और लगभग ३०% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं (यानि रु. ३०० प्रति माह से कम कमाते हैं). बेरोज़गारी और गरीबी दो जुड़ी हुई समस्याएँ हैं और हम इनके दो मुख्य कारण मानते हैं, एक अनियंत्रित जनसंख्या बढोतरी और दूसरा आर्थिक स्वतंत्रता में कमी.
दो से ज्यादा बच्चे होने पर भी हमारे देश में कठोर कदम नही उठाए जाते, कठोर का ये मतलब नही की लोगों को जेल में ठूंस दें बल्कि सरकार की तरफ़ से मिलने वाले फाएदों में कटौती (पूर्ण/आंशिक). इसके कारण ही हर साल हमारी जनसंख्या १.५३ करोड़ बढ़ जाती है. (जो दुनिया के कई देशों की आबाद्दी से ज्यादा है).
आर्थिक स्वतंत्रता कम होने से आसानी से उद्योग धंधे नही लगाए जा सकते, इसके ऊपर हमारी शिक्षा प्रणाली का ज़ोर व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण की तरफ़ ना होकर बाबु बनाने में है, मजदूर कानून हों या सरकारी अनुमति तरह तरह के अड़ंगे डाले गए हैं, दुनिया भर के सर्वेक्षणों और अध्ययनों में भारत अपने उद्यमीओं को सुविधाएँ और सेवाएँ देने में पिछड़ा हुआ ही सामने आया है. ऐसे में गरीबी और बेरोज़गारी ही बढेगी. (उदहारण के लिए आई.एफ़.सी. के २००५ के कारोबार करने में आसानी के सूचकांक में भारत का स्थान १५५ देशों में ११६ वाँ था, हमारा सभी पड़ोसी देश हमसे आगे रहे - पाकिस्तान ६० वाँ , बांग्लादेश ६५ वाँ, श्रीलंका ७५ वाँ, रूस ७९ वाँ, चीन ९१ वाँ).

FAQ 35

35. इस नगद सब्सिडी को देने का पैसा कहाँ से आएगा, जब आप टैक्स दर भी कम करने की बात करते हैं?
२००८ के आंकडों के हिसाब से यह सब्सिडी ४ लाख करोड़ की बनती है, जैसा की आप जानते हैं जागो पार्टी सरकार के दायरे से आवश्यक सेवाओ और कर्तव्यों को छोड़कर सभी कार्य निजी क्षेत्र में ले आएगी तो इस निजीकरण से पैसा आएगा,
इसके अलावा लगभग ८०% सरकारी कर्मचारियों/अधिकारीयों की ज़रूरत नही रह जाएगी, इससे बचने वाले पैसे से ही इस सब्सिडी को दिया जा सकता है (कुल २ करोड़ कर्मचारी का ८०% = १.६ करोड़ और प्रति कर्मचारी प्रति माह खर्च रु. २०,०००, सालाना २,४०,००० रु., दोनों का गुणा करने पर ३ लाख ८४ हज़ार करोड़ रु.)
दूसरे टैक्स दर कम करने से और मूलभूत सुविधाओं के विकास से उद्योग धन्दों में गति आएगी और अधिक रोज़गार उत्पन्न होंगे जिससे और अधिक लोग टैक्स जमा करेंगे, तो टैक्स दर कम करने का प्रभाव ज्यादा नही पड़ेगा.
(सरकारी कर्मचारियों के विषय में: यह छंटनी धीरे-धीरे की जाएगी, और यदि वो चाहें तो प्रशिक्षण देकर उनको निजी क्षेत्र में रोज़गार दिया जाएगा या फ़िर एच्छिक सेवानिवृत्ति ले लें. उनको समाज का एक उपयोगी सदस्य बनाने की पूरी कोशिश की जाएगी और उनको दिनभर फाइल-धकियाने वाली ज़िन्दगी से मुक्ती दी जाएगी.)

FAQ 34

34. इस नगद सब्सिडी के लिए क्या-क्या शर्तें हैं?
इसके लिए पाँच शर्तें हैं:
१. आप १८ वर्ष के ऊपर हों,
२. आपने कम से कम एक बार वोट किया हो,
३. आपके दो से अधिक बच्चे न हों, (अभी लागू नही, भविष्य में होगा)
४. आपके बच्चों की शिक्षा कम से कम १२ वीं तक हुई हो,
५. आपको किसी अदालत से आपराधिक मामले में सजा न मिली/हुई हो.

FAQ 33

33. आप यह सब्सिडी उन लोगों को क्यों देना चाह्ते हैं जो गरीब नही हैं?
जागो पार्टी का मानना है की लोगों को सुविधाएं और लाभ देने के मामले में सरकार को भेदभाव नही करना चाहिए, चाहे वो अमीर हो या गरीब. अमीर को मेहनत करके पैसा कमाने की सजा नही मिलनी चाहिए, और ऐसा नही है की आज की सरकारें ऐसा नही कर रही, गैस सिलेंडरों को ही लीजिये उसमे सभी को समान रूप से सब्सिडी दी जा रही है, अमीर और गरीब का प्रश्न कहाँ है?
हमारे लिए पैसों से ज्यादा, 'सभी के साथ समान व्यवहार' का सिधांत प्रिय है, हम जानते हैं की हमारे देश के अमीरों के लिए साल के २४, ००० रूपए ज्यादा मायने नही रखते पर हम उनको उनके अधिकार से वंचित नही करेंगे, अब ये उनके ऊपर है वो इस पैसे को लें या ना लें.
और अगर हम गरीबी रेखा की कसौटी यहाँ भी लगाएँगे तो लोग रिश्वत देकर अपने आपको गैर्ब साबित करने में जुट जाएंगे जिससे देश का दोहरा नुक्सान होगा.
इसके अलावा गरीब लोग सब्सिडी छिन जाने के डर से कभी भी ऊपर उठने की कोशिश नही करेंगे.
अंत में, इससे लोगों को वोट देने का प्रोत्साहन मिलेगा.

FAQ 32

32. सभी वोटरों को छः सौ रूपए (रु. ६००/-) प्रति माह की सब्सिडी देने के पीछे क्या तर्क है?
यह आंकडा भारत और सभी राज्य सरकारों द्वारा दी गई कुल सब्सिडी में कुल वोटरों की संख्या को भाग देने से निकाली गई है, सरकार द्वारा सब्सिडी चीज़ों की कीमतें कम रखने के लिए दी जाती हैं इनके दो प्रकार होते हैं: मेरिट सब्सिडी और नॉन-मेरिट सब्सिडी, मेरिट सब्सिडी का लाभ पूरे देश को मिलता है वहीं नॉन-मेरिट सब्सिडी वर्ग विशेष के लिए दी जाती है, वर्तमान में सर्वाधिक खर्च नॉन-मेरिट सब्सिडियों पर हो रहा है.
वर्ष १९९४-९५ में नॉन-मेरिट संसिदी सकल घरेलू उत्पाद का दस प्रतिशत थी और इस आंकडे को आधार मानकर यदि हम आज के सकल घरेलू उत्पाद से भाग दें तो यह करीब ४ लाख करोड़ रूपए आएगा, इस आंकड़े को ४० करोड़ (वोटर जो असल में वोट करते हैं) से भाग देने पर १०,०० रूपए साल के निकलते हैं अब इसको १२ से अगर भाग दें तो प्रति माह ८३३ रूपए का आंकडा बनता है, हमने आने वाले चुनावों में वोटरों की संख्या में होने वाली बढोतरी को ध्यान में रखकर इसे ६०० रु. प्रति माह रखा है.

FAQ 31

31. भ्रष्टाचार को ख़त्म करना आपका एक प्रमुख मुद्दा है, आप यह कैसे करेंगे?
ट्रांसपेरेंसी इन्टरनेशनल द्वारा २००७ में करवाए गए एक सर्वे में ३२% भारतियों ने रिश्वत देना स्वीकार, जब यह आंकडा कई देशों में २% के पास था. पूर्व प्रधान मंत्री स्व. राजीव गाँधी ने कहा था की सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक रुपए का सिर्फ़ १५ पैसा ही जनता तक पहुँचता है बाकी ८५ पैसा भ्रष्टाचारियों की जेबों में जाता है.
सरकारी भ्रष्टाचार दो प्रकार से होता है:
१. परितोषण: जनता का काम करने के बदले अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगना. यह समस्या इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि निजी क्षेत्र की तरह यहाँ ग्राहक की संतुष्टि अधिकारियों/कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य सुविधाओं से नही जुड़ी हुई है, उनको एक तारीख को पैसा मिलना ही है फ़िर चाहे वो कैसा भी काम करें.
२. दुर्विनियोजन: सरकारी योजनाओं से जनता के लिए आने वाले पैसे को फर्जीवाडा करके गायब कर देना.
इसको ध्यान में रखकर जागो पार्टी ने भ्रष्टाचार से निपटने की योजना बनाई है, परितोषण के लिए प्रावधान: पहले तो अधिकतर क्षेत्र जिनमे सरकार की ज़रूरत नही है, जो निजी क्षेत्र कर सकता है, वो सभी क्षेत्र निजीकरण द्वारा निजी क्षेत्र को हस्तांतरित किए जाएंगे. इसके अलावा विभागों और आफिसों के जनता के संपर्क में आने वाले हिस्से को भी निजी क्षेत्र को दिया जाएगा, जैसे पासपोर्ट कार्यालय, पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी, संपत्तियों का पंजीकरण, आदि. सारे सरकारी विभागों को पूर्ण रूप से कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा, जिससे जनता की साड़ी जानकारी जनता के पास २४ घंटे उपलब्ध हो. सरकार में छुपे हुए भ्रष्टाचारियों को पहचानने के लिए निजी जासूस एजेंसियां लगाई जाएंगी और सबूतों की गुणवत्ता के आधार पर उनको भुगतान किया जाएगा. भ्रष्टाचारियों को तुंरत नौकरी से निकाला जाएगा और उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी और एक सीमा (जैसे रु. १० करोड़) से अधिक की कुल अवैध्य संपत्ति मिलने पर मृत्युदंड का प्रावधान.
दुर्विनियोजन के लिए: जागो पार्टी सभी प्रकार की योजनाओं और सब्सिडियों को बंद करके उन सभी से होने वाले प्रति व्यक्ति लाभ को सीधे लोगों को दे देगी, इससे सरकारी फाइलों को बनाने, संभालने, आगे-बढ़ाने वाले करोड़ों रिश्वतखोर बाबुओं की ज़रूरत नही होगी और भ्रष्टाचार में भी भारी कमी आएगी.

FAQ 30

30. जहाँ दुनिया के कई देश मृत्युदंड को ख़त्म कर रहे हैं वहीं आप इसकी वकालत कर रहे हैं? क्या आप मानवीय दृष्टिकोण से दूर नही जा रहे?
कुल १९८ देशों में ९२ ने मृत्युदंड ख़त्म कर दिया है और बाकी १०२ में यह अब भी मौजूद है, हालाँकि इसका उपयोग कहीं कम कहीं ज्यादा होता है. यूरोपीय संघ के देश, एशिया-पेसिफिक के देश और लेटिन-अमेरिकी देशों ने इसको समाप्त किया है पर अमरीका, जापान, चीन, सिंगापुर और भारत कुछ ऐसे प्रमुख देश हैं जहाँ यह अस्तित्व में है. इस्लामी देशों जैसे पाकिस्तान, इरान, साउदी अरब, आदि में भी इसका उपयोग हो रहा है.
दुनिया भर के अधिकाँश सर्वे में ७०-८१% लोग हत्या और खासतौर पर आतंकवाद के लिए मृत्युदंड को सही मानते हैं. जागो पार्टी हत्या, आतंकवाद, बलात्कार, अपहरण और डकैती के साबित होने पर मृत्युदंड के लिए निम्नलिखित कारणों से पक्षधर है:
१. यदि कोई अपने स्वाथों और पूर्वाग्रहों के लिए किसी को मारने से नही हिचकता तो उसका जीवित रहना पूरे समाज के लिए खतरा है, उसको मृत्युदंड देना बिल्कुल सही है.
२. अमरीका में किए गए अध्ययनों से ये बात पता चली है कि एक मृत्युदंड १८ निर्दोषों की जान बचाने में सफल होता है, इससे साफ़ पता चलता है की मृत्युदंड अपराधियों में डर पैदा करता है.
३. इन्ही अध्ययनों से यह भी पता चला है की किसी जुर्म की सजा काटकर छूटे ६०% अपराधी दोबारा वही अपराध करते हैं, और ये ज्यादा क्रूरता और जघन्यता से किए जाते हैं जो समाज से बदला लेने और उसके प्रति गुस्से के साथ-साथ जेल में नए गुर सीखने को दर्शाते है, तो कारावास एक तरह का प्रशिक्षण स्कूल बन जाता है.
४. जो लोग मानवीय दृष्टिकोण की बात करके आजीवन कारावास की बात करते हैं वो यह क्यों भूल जाते हैं की जेल समाज/जनता के पैसे से चलती हैं और इस सामाजिक बोझ को धोने से अच्छा है उस पैसे को किसी सार्थक काम में लगाए जाए.
५. इसके अलावा इन लोगों को जेल में रखना भी सुरक्षित नही है, जैसा हमने मौलाना मसूद अजहर/कंधार विमान अपहरण में देखा, इससे सुरक्षा एजेंसीयों पर भी दबाव बढेगा.
६. जो लोग अपराधियों के मानवाधिकारों की बात करते हैं उन्हें यह भी याद रखना चाहिए की देश के करोड़ों निर्दोष लोगों के भी मानवाधिकार हैं.

FAQ 29

29. आप जजों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को कैसे रोकेंगे?
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किए गए वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर २००६ में ७७% भारतीयों ने माना की उनकी न्याय-पालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है और ३६% लोगों ने काम के बदले रिश्वत देने की बात स्वीकारी. इस परिपेक्ष में जागो पार्टी की प्रस्तावित योजना:
१. न्यायिक चयन प्रकिर्या एक स्वतंत्र चयन समिति द्वारा.
२. नियुक्तियों का आधार योग्यता, चयन के सभी नियम और मानदंड सार्वजानिक, केवल उन्ही उम्मीदवारों को शामिल किया जाएगा जिनकी क्षमता और इमानदारी का लंबा रिकार्ड हो.
३. स्थानान्तरण के मानदंड बिल्कुल स्पष्ट होंगे जिससे इमानदार और कर्तव्यनिष्ठ लोगों को परेशान ना किया जा सके.
४. जजों के विरुद्ध लगाए आरोपों की सघन जांच एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा करवाई जाए.
५. जजों को हटाने की प्रक्रिया आसान की जाएगी और यह बिल्कुल पारदर्शी और निष्पक्ष, सख्त मानकों वाली होगी, अगर वहाँ भ्रष्टाचार पाया जाता है तो जज पर मुकदमा भी चलाया जाएगा.
६. जजों द्वारा दिए गए निर्णयों के स्तर को जांचने के लिए एक समिति होगी जो औचक निरिक्षण करके वस्तुस्थिति से सरकार और जनता को अवगत करावाएगी. यदि किसी जज के आदेशों या निर्णयों में न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन पाया जाता है तो उसपर तुंरत कार्यवाही होगी.
७. यदि अपील के दौरान आदेश/निर्णय को बदलना पड़ता है तो जज के ख़िलाफ़ भी कार्यवाही की जाएगी.
८. जजों के वेतन, पेंशन आदि बाज़ार-मूल्यों पर और उनके काम के अनुसार दिया जाएगा.
९. न्यायिक प्रक्रिया में जजों के विवेक से लिए गए निर्णयों को कम से कम करना और उसके स्थान पर सभी निर्णय और सजाएं कानून में बदलाव करके स्पष्ट करना.
१०. कानूनों और अधिनियम की जटिलता और अनेकानेक संबधित कानूनों के फ़ैसला किसी भी ओर मुदा जा सकता है इसके कारण भी भ्रष्टाचार बढ़ता है. कानून को सरल बनाया जाएगा.
११. जैसा पहले भी कहा जा चुका है, समाजवाद पर आधारित कानून की आड़ लेकर कई लोग व्यवसायों और निजी उद्योगों को नुक्सान पहुँचाना (सही तौर पर पैसे वसूलना) चाहते हैं, धंधे को ध्यान में रखकर कई व्यवसायी कोर्ट के बाहर समझौता करके अपनी जान छुडाते हैं, इस तरह के सभी कानूनों को हटा दिया जाएगा.

FAQ 28

28. ३ महीनों में कोर्ट के फैसले आप कैसे सुनिश्चित करेंगे? और इतने सारे लंबित मामले हैं उनका क्या होगा?
वर्तमान में देश की सभी अदालतों में कुल ३ करोड़ मामले लंबित हैं, जिसमे से सुप्रीम कोर्ट में ४०,०००, सारे हाई कोर्टों में ३० लाख और निचली अदालतों में लगभग २.६० करोड़ मामले हैं.
इसका निपटारा हम निम्नलिखित तरीके से करना चाहते हैं
१. जनसंख्या के अनुपात में जजों की संख्या को लाना: वर्तमान में भारत में प्रति १० लाख लोगों पर १२ जज हैं, जबकि यू.के. में यह ५१ है, ऑस्ट्रेलिया में ५८, कनाडा में ७५ और अमेरिका में १०७. भारत को इस समय यह अनुपात ५० के करीब चाहिए, जिससे नए कोर्ट बनाये जा सकें और मौजूदा कोर्टों को २-३ परियों में २४ घंटे संचालित किया जा सके.
२. कोर्टों के २ महीने के अवकाश को ख़त्म करना.
३. सारी रिक्तियों को तुंरत भरना.
४. स्थगन को बहुत ही कठिन और खर्चीला बनाना जिससे दोनों पक्ष मामले को ताल ना पाएं.
५. गवाहों और पक्षों के बयानों की विडियो रिकार्डिंग को सबूत के तुअर पर मान्यता देना.
६. विशेष अदालतों के लिए विशेष-प्रशिक्षण प्राप्त जज.
७. मध्यस्थों और अदालत-पूर्व समझौते को अधिक प्रोत्साहन देना.
८. 'संदेह से परे' प्रणाली को बदलकर 'संभावनाओं की प्रधानता' प्रणाली करना.
९. एक समय सीमा के बाद यदि मामला कोर्ट में लंबित रहे तो उसके लिए जज को उत्तरदाई बनाना.
१०. कोर्ट के सभी रिकॉर्ड और प्रक्रियाओं का कम्प्यूटरीकरण.
११. सिर्फ़ एक अपील का प्रावधान.
यहाँ ध्यान देने योग्य ये बात है की इस प्रकार के कई सुझाव पूर्व में कई समितियों और आयोगों द्वारा दिए जा चुके हैं, पर राजनैतिक कमोजोरियों और स्वार्थों के लिए इनको हमेशा दरकिनार किया जाता रहा.
इन सभी उपायों के अलावा एक उपाय यह भी है कि हम पुराने और गैर-ज़रूरी अधिनियमों और कानूनों को ख़त्म करें और इनसे होने वाले मुकदमों से बच जाएँ. इस समय इस तरह के कानूनों की कुल संख्या ३०,००० के करीब है, जैसे समाजवाद से प्रभावित भूमि अधिग्रहण के कानून, सामाजिक बदलाव लाने के लिए थोपे गए इन कानूनों से गरीब जनता का भला तो कुछ हुआ नही उल्टा सरकार जनता का पैसा मुक़दमे लड़ने में बरबाद करती रही.
जागो पार्टी शुरू से यह कहती आई है की व्यापार करना सरकार का काम नही वो व्यापारियों के लिए छोड़ देना चाहिए और सरकार को देश के लिए बेहद ज़रूरी कामों और सेवाओं पर ध्यान देना चाहिए, हमारा मानना है की भारत का काम इन कानूनों के बिना ज्यादा अच्छे से चलेगा और इनको हटाना ही श्रेष्ठ विकल्प है. जागो पार्टी सरकार में आते ही लंबित मामलों को आपसी समझौते द्वारा जल्दी से जल्दी निपटाएगी और उपरोक्त सभी बदलाव हमारे सिस्टम में लाएगी.

FAQ 27

27. आप बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का समर्थन करते हैं, क्यों?
वो इसलिए की बलात्कार हत्या से ज्यादा गंभीर है, पीड़ित महिला की हत्या की जाती है शारीरिक रूप से नही पर मानसिक और भावनात्मक रूप से. बलात्कार के बाद का जीवन एक क्रूर यातना बन जाता है जहाँ घावों को रोज़ कुरेदा जाता है और उनमे नमक छिड़का जाता है, हत्या भी इसके सामने बौनी लगती है.
और तो और भारत में सामाजिक कलंक के डर से बलात्कार की ९९% घटनाएँ कभी सामने ही नही आ पाती.
अपराधी इस बात को जानता है और निडर होकर अपराध करता है, जिस दिन से बलात्कारियों को फाँसी दी जाने लगेगी अपराधी अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा, महिलाओं के मनोबल में, आत्म-अवधारणा में और सामाजिक प्रतिष्ठा में जो बदलाव आएगा उसके तो क्या कहने.

FAQ 26

26. ऐसा माना जाता है कि भारत के अरबों रुपए काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा हैं, इस पैसे को वापस भरत लाने के लिए आपके पास क्या योजना है?
काले धन को वापस लाने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए की इसकी उत्पत्ति कैसे होती है, भारत में काला धन अधिक टैक्स दरों और हर क्षेत्र में सरकार की दखलअंदाजी के कारण है, इमानदार आजीविका के रास्ते में इतनी सारी सरकारी रुकावटें खड़ी कर दी जाती हैं की कोई रिश्वत के अलावा कोई दूसरा रास्ता नज़र नही आता, कभी सब्सिडी के नाम पर तो कभी लोक निर्माण के नाम पर दोनों हाथों से हमारे टैक्स को लूटा और बरबाद किया जाता है, और हमारी न्याय-प्रणाली और अन्य संस्थाएँ इससे निपटने के लिए समर्थ नही हैं. चुनावों में होने वाले खर्चे भी इसका एक प्रमुख कारण हैं.
इन सभी का समाधान करके हम अपने आप काले धन को कम कर पाएंगे, जैसे जागो पार्टी हर क्षेत्र में सरकारी दखल-अंदाजी ख़त्म कर देगी, टैक्स की दरों को कम करेगी, निजी उद्यम को हर तरह से बढ़ावा देगी, और सरकारी खर्चे पर चुनावों के प्रचार को भी लागू करेगी.
जहाँ तक उस पैसे का सवाल है व्यक्ति बिना किसी सवाल-जवाब के उसे देश में १०% टैक्स देकर ले आए और निजी क्षेत्र में निवेश कर दे, जिससे देश का पैसा देश में होगा और यहाँ के लोगों को रोज़गार और आजीविका देने के काम आएगा.

FAQ 25

25. व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने से समाज में अनैतिकता नही बढेगी?
यदि दो वयस्क आपसी सहमति से कुछ करना चाहते हैं तो समाज और सरकार का कोई हक नही बनता की उन्हें रोकें, सभी को अपने हिसाब से रखने की छूट हो जब तक वो किसी नुकसान नही पहुंचाते. व्यक्तिगत पसंद-नापसंद पर नैतिकता थोपना सही नही है, अनैतिकता का सवाल तभी उठता है जब किसी कम को ज़ोर-ज़बरजस्ती से करवाया गया है या धोखे से.
अगर कोई व्यक्ति पैसा कमाने के लिए स्वेच्छा से सेक्स बेचना चाहते हैं और कोई उसको खरीदना चाहता है, तो ये उनका मामला है, दूसरों को अधिकार नही है कि अपने मूल्य दूसरों पर लादें. पर अगर कोई ज़बरजस्ती किसी से वेश्यावृत्ति करवाना चाहता है तो वह एक अपराध होगा और सरकार और समाज के अंतर्गत आ जाएगा, अन्यथा नही.
कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह कि स्वतंत्रता भारतीय संस्कृति के विरुद्ध होगी, हमारा मानना है कि यह व्यक्ति के ऊपर है कि वो किस संस्कृति को अपनाना चाहता है, इसको थोपा नही जाना चाहिए, सभी बिना ज़ोर और धोखे के हसीं-खुशी रहें इसमें ही समृद्धि है.

FAQ 24

24. आप प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार क्यों देना चाहते हैं?
प्रवासी भारतीय दूसरे देशों में होते हुए भी भारत से सदा जुडाव महसूस करते हैं, उनकी जड़ें तो भारत में ही हैं. विदेश जाकर भी मौद्रिक और बौधिक सम्पदा निरंतर भारत में वापस भेजते हैं. भारत भेजे गए डॉलरों का आंकडा अरबों में जाता है.
इसके अलावा वे दूसरे देशों में हमारे अनौपचारिक सांस्कृतिक राजदूत हैं उनकी उपलब्धियों से हमारा सर भी गर्व से ऊँचा होता है, क्या देश की सेवा करने वाले, देश का नाम ऊँचा करने वाले लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित रखना उचित है? राजनैतिक रूप से उनकी संख्या गौण है, हमारा ये कदम तो सर्वथा उनके प्रति हमारे आदर और प्यार का प्रतीक मात्र होगा, जो उनके साथ-साथ हमें भी भारतीय होने का एहसास करवाएगा.

FAQ 23

23. क्या आप समान नागरिक संहिता लागू करेंगे?
नही, सभी धर्मों के अपने-अपने पर्सनल कानून हैं और लोगों के निजी मामलों जैसे शादी, तलाक, आदि के लिए इन सभी को हटाकर नया कानून लगाना सही नही होगा.
पर, हम एक आधुनिक पर्सनल कोड लाएगे जो आपसी सहमती पर आधारित होगा, यह एक कांट्रेक्ट (अनुबंध) की तरह होगा और कोर्ट में मान्य होगा, सभी विवादों का हल इसी के आधार पर निकाला जाएगा, उदहारण के लिए शादी के लिए इस कोड में शादी के बाद खर्चों को किस प्रकार बांटा जाए, बच्चों का लालन-पालन किस प्रकार किया जाएगा, तालक किस सूरत में लिया जा सकेगा, तलाक के बाद बच्चों की ज़िम्मेदारी किसको मिलेगी आदि बातों का समावेश होगा. दंपत्ति को इस कोड पर आधारित अनुबंध को कोर्ट में रजिस्टर (पंजीकृत) कराना होगा, यदि वो ऐसा नही करते हैं तो शासन उनकी शादी को अमान्य मानेगा और उनको दो अलग व्यक्ति ही मानेगा.
व्यक्ति को इस बात की भी स्वतंत्रता होगी की वो किसी भी कोड को न अपनाए, पर अगर व्यक्ति नए कोड को अपनाता ह तो उसका धार्मिक कोड उसपर लागो नही होगा.

FAQ 22

22. कश्मीर समस्या पर आपका रुख क्या है?
कश्मीर के अधिकाँश लोग शान्ति और आर्थिक समृद्धि चाहते हैं. केवल कुछ मौकापरस्त नेता ही अलगाव और आज़ादी की बात करते हैं और आतंकवाद का समर्थन करते हैं. इससे मजबूती के साथ निपटा जाना चाहिए, अनुच्छेद ३७० को हटाकर जम्मू-कश्मीर को अन्य सभी राज्यों की तरह भारत का अभिन्न अंग होने की मान्यता देनी चाहिए. धार्मिक और राजनैतिक तुष्टिकरण को पूरी तरह से ख़त्म किया जाना चाहिए, सरकार को सभी के साथ बराबरी का और समान व्यवहार करना चाहिए. सशस्त्र बलों द्वारा मुसलमानों के खिलाफ की गई ज्यादतियों, यदि कोई हो, को भी सख्ती से रोकना होगा.
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में फैलाए गए आतंकवाद को दुनिया के सामने लाना होगा और इसके ख़िलाफ़ कठोरतम कदम उठाने होंगे.

FAQ 21

21. आप पुलिस को और अधिक शक्तियां देने के पक्षधर क्यों हैं?
दुबई में अपराध दर शून्य है इसका कारण मुख्य रूप से पुलिस और त्वरित न्याय का डर है. भारत में इस समय कानून और न्याय-प्रक्रिया पूरी तरह से अपराधियों के पक्ष में हैं. अगर अपराधी निर्दोष लोगों या फ़िर पुलिसवालों को जान से मार दें तो कोई नही पूछता पर यदि पुलिस किसी कुख्यात अपराधी को मार दे तो पूरा मीडिया और मानवाधिकार समूह पुलिस के ख़िलाफ़ उठ खड़े होते हैं.
केसों के फैसले २०-२० सालों में आते हैं, तब तक अपराधी खुले घूमते हैं और नए अपराध करते हैं, और अपनी जुर्मों की सजा कभी नही पाते, अपराधी को पकड़ने के २४ घंटे के भीतर उसको कोर्ट में पेश करना पड़ता है, जिससे ठीक तरीके से पूछताछ तक नही हो पाती, कुछ दिनों पहले ही नागपुर में एक 'व्यक्ति' बलात्कार के १८ मामलों में ज़मानत लेकर आजाद घूमता रहा, पुलिस कुछ नही कर पाई, फ़िर उस इलाके की महिलाओं ने ही उसको मार डाला वो भी कोर्ट परिसर में, आदतन अपराधियों के लिए ज़मानत बहुत कठिन होनी चाहिए.
पुलिस को और शक्तियां देकर और बेहतर प्रशिक्षण देकर हम भारत को सचमुच एक सुरक्षित जगह बना सकते हैं.

FAQ 20

20. क्या गारंटी है कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस कानून का राजनैतिक स्वार्थों के लिए दुरूपयोग नही होगा?
इस तरह के सभी कानूनों में दुरूपयोग रोकने के प्रावधान होने चाहिए, पोटा में भी इस तरह के कई प्रावधान थे पर उसका दुरूपयोग किया गया, पर हम इन दुरूपयोग करने वाले को दोष नहीं दे रहे पर कानून को दे रहे हैं, क़ानून को लागो किया जाता है, उसका पालन होता है, वो ख़ुद कुछ नही करता, अब ये लोगों के ऊपर है, सत्ताधारी पार्टी के ऊपर ज़िम्मेदारी है कि वो इसको किस तरह से लेते हैं, हम एक्सीडेंट के डर से कारों, ट्रेनों में बैठना तो बंद नही करते तो फ़िर क्यों हम हमारी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों विरोध करते हैं, जोग लोग इस ज़िम्मेदारी को नही निभा सकते उन्हें सत्ता से दूर क्यों नही कर देते?

FAQ 19

19. आतंकवाद से लड़ने के लिए आपको पोटा जैसा क़ानून क्यों चाहिए?
ऐसा कानून पुलिस और न्याय-पालिका को सशक्त बनाता है जो आतंकवादियों से लड़ने के लिए ज़रूरी है. पहला, आतंकवादियों को और उनको संरक्षण देने वाले / हथियार उपलब्ध कराने वालों को आसानी से फाँसी/उम्रकैद दी जा सकती है, दूसरा, संदिग्ध गतिविधियों पर करीब से नज़र राखी जा सकती है और संदिग्ध बातचीत टेप करके कोर्ट में साक्ष्य के रूप में मान्य की जा सकती है, तीसरा, पुलिस के समक्ष दिया गया इकबालिया बयान कोर्ट में मान्य होगा, और गवाहों की जानकारी गोपनीय राखी जा सकेगी. संदिग्धों को १८० दिन की हिरासत में पुलिस रखने में सक्षम होगी.
इन सभी बातों से आतंकवादियों को समझ में आ जाएगा कि भारत में आतंकी गतिविधियां सहन नही की जाएंगी. जागो पार्टी तो इस कानून को और सख्त बनाना चाहती है इसके कुछ अन्य प्रावधान हैं जैसे कैमरे के समक्ष अदालती कार्यवाही, ३ महीने में फ़ैसला, केवल एक अपील और आतंकवादियों को और उनको संरक्षण देने वाले / हथियार उपलब्ध कराने वालों को फाँसी.

FAQ 18

18. देश की लगभग 70-80% आबादी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग है. यदि आप आरक्षण का विरोध करेंगे तो ये लोग आपका समर्थन नही करेंगे, तब आप चुनाव कैसे जीतेंगे?
भारत में आरक्षित वर्गों की संयुक्त जनसंख्या (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग) 60% के आसपास है. तो भले ही ये 60% हमारे खिलाफ जाता है, यह सभी मौजूदा राजनीतिक दलों के बीच विभाजित होगा (जैसे कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा आदि),वहीं हमें अनारक्षित श्रेणियों से 40% ठोस वोट मिल जाएंगे जो सरकार बनने के लिए पर्याप्त से अधिक है. कांग्रेस को 2004 के लोकसभा चुनावों में सिर्फ 15% मत मिले थे और वह सत्ता में आ गए थे.
इसके अलावा आरक्षित वर्गों के शिक्षित लोग भी हमें समर्थन देने आगे आए हैं, उनके भी ये समझ में आ गया है की सिर्फ़ २% लोगों से पूरी जाति का भला कभी नही होगा और इस २% को कौन लोग हज़म कर रहे हैं (उनकी जाति के 'क्रीमी-लेयर' नेता, मिनिस्टर, उच्च अधिकारी, अमीर और पढ़े लिखे लोग, आदि).
जागो पार्टी सभी को समान शिक्षा और अवसर देना चाहती है, आप ही सोचिये अंग्रेज़ी मध्यम में उच्च शिक्षा प्राप्त एक गरीब घर का लड़का जिसके पास नौकरियों के कई अवसर हैं बेहतर है या आज का आरक्षित वर्ग का युवा? क्या वो नवयुवक आरक्षण को समर्थन देगा जिसने उसे कुछ नही दिया या उस नीति को जिससे वो जीवन में कुछ करके आगे बढ़ पाया कुछ बन पाया .

FAQ 17

17. कुछ जातियों के साथ सदियों से भेदभाव होता आया है, आरक्षण नीति इस भेदभाव द्वारा पैदा हुई खाई को पाटने के लिए लाई गई थी आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?
ये सही है की इन जातियों के साथ भेदभाव हुआ है, और जाति व्यवस्था को जो सामाजिक और सांस्कृतिक समर्थन प्राप्त था उसका खात्मा भारत के आजाद होने के बाद ही हो जाना चाहिए था. मूल्य-आधारित रोजगारोन्मुखी शिक्षा बहुत आसानी से इससे निपट सकती थी और समाज भी जाति-व्यवस्था का विरोध करके इसका समर्थन कर सकता था. पर समाज के सबसे बड़े पैरोकार, हमारे नेताओं ने आसान रास्ता चुनते हुए आरक्षण से जाति-व्यवस्था को स्थायी रूप दे दिया. इन लोगों ने ये अफवाह भी फैला दी की निचली जातियों को न्याय तभी मिलेगा जब उनको आरक्षण मिलेगा, कुछ नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया की प्राइवेट (निजी) क्षेत्र में भी आरक्षण किया जाए!
किसी भी राष्ट्र का विकास तब तक नही हो सकता जब तक वहाँ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और योग्यता को समान नही दिया जाता, इस सस्ती वोट-बैंक राजनीति ने हमारे युवाओं के मनोबल को बहुत नीचे गिरा दिया है, हम सभी ने सुना है कि किस प्रकार भारतीयों ने पूरी दुनिया में झंडे गाडे हैं फ़िर अपने देश में ऐसा क्या हो जाता है कि हम वो करिश्मा भारत में नही कर पाते?
इस नीति कि सबसे बड़ी खामी यह है कि दो योग्य व्यक्तियों को यह एक साथ नही करती पर अलग-अलग कर देती है, और ध्यान मूलभूत बदलाव का नही है बल्कि वोट जुगाड़ने का है वरना शुरुआत होती प्राथमिक शिक्षा से न कि उच्च शिक्षा या सरकारी सेवाओ से (कुल २ करोड़ पदों में से १ करोड़ आरक्षित), जो अधिक से अधिक केवल २% जनसंख्या को ही फायदा पहुँचा सकती हैं, बाकी बचे ९८% लोगों के बारे में कोई नही सोचता और पूछता (अ.जा./अ.ज.जा./अ.पि.व. की कुल जनसंख्या लगभग ६० करोड़ भारत की जनसंख्या १०० करोड़).
इसलिए जागो पार्टी आरक्षण के ख़िलाफ़ है, पर शिक्षा/प्रशिक्षण के लिए हम सभी को अधिक से अधिक सहायता देने के पक्षधर हैं, जिससे हर व्यक्ति के लिए समान अवसर और माहौल हो आगे उसकी योग्यता और मेहनत. इससे न सिर्फ़ ज़रूरतमंदों की असल में मदद होगी पर साथ ही राष्ट्र की प्रगति भी होती जाएगी और पूर्व में की गई गल्तियों का सुधार भी होगा.

FAQ 16

16. आरक्षण के किन प्रावधानों को आप हटाना चाहते हैं? इस मुद्दे पर वर्तमान कानूनी स्थिति क्या है?
भारतीय संविधान के मूल रूप में केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था और यह सिर्फ़ दस वर्षों के लिए था यह केवल निर्वाचित निकायों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व, सार्वजनिक रोजगार, और शासकीय सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों पर मान्य/लागू था.
इस योजना को हर दस साल के बाद संविधान संशोधन द्वारा आगे बढाया जाता रहा, अनुसूचित जातियों के लिए १५ % और अनुसूचित जनजातियों के लिए ७.५ % आरक्षण शासकीय सेवाओं, केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं और निर्वाचित निकायों में दिया गया. इस २२.५ (साढे बाईस) फीसदी आरक्षण को कालांतर में बढाकर ४९.५ % कर दिया गया, कुछ राज्यों में तो यह इससे भी अधिक है जैसे तमिलनाडु में यह ६९ % है, आंध्र प्रदेश में ४ % आरक्षण मुस्लिमों के लिए भी है (अनु. जा. एवं जन.जा. और अ.पि.व. के अलावा).
वर्तमान स्थिति: सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा ५०% तय कर दी है,और इसके ऊपर किए गए आरक्षण को संविधान के मूल स्वरुप के विरुद्ध माना है. तमिलनाडु की सरकार ने इस आदेश से बचने के लिए अपने आरक्षण अधिनियम को संविधान की ९ वी अनुसूची में शामिल कर दिया है, ज्ञात हो कि ९ वी अनुसूची में मौजूद किसी भी अधिनियम की समीक्षा किसी भी कोर्ट द्वारा नही की जा सकती है.(हालाँकि २००७ के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ९ वी अनुसूची की समीक्षा कोर्ट द्वारा की जा सकती है, पर वह किसी अधिनियम की संविधान के मूल स्वरुप से अनुरूपता सुनिश्चित करने के लिए ही की जा सकती है.)
१० अप्रैल २००८ के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में २७% आरक्षण को वैध माना पर यह साथ ही यह भी कहा की इस आरक्षण का लाभ अ.पि.व. की 'क्रीमी-लेयर' को न दिया जाए.
अनु.जा./अनु.ज.जा./अ.पि.व. का देश की जनसंख्या में प्रतिशत:
भारतीय जनगणना में केवल अ.जा. और अ.ज.जा. के आंकड़े इकठ्ठा किए जाते हैं. वर्तमान में दोनों को मिलाकर जनसंख्या में कुल प्रतिशत २४.४% है.
१९३१ के बाद से जाति से संबधित आंकड़े गैर-अ.जा./अ.ज.जा. लोगों से इकठ्ठे नही किए गए, यही १९३१ जनगणना मंडल आयोग द्वारा अ.पि.व. की जनसंख्या का आधार बनी, और भारत में अ.पि.व का प्रतिशत ५२% माना गया.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ने १९९९-२००० में किए सर्वे के आधार पर अ.पि.व. की संख्या देश की जनसंख्या का ३६% मानी है, अगर इसमे से मुस्लिम अ.पि.व. को हटा दिया जाए तो यह संख्या ३२% हो जाती है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य मिशन के एक सर्वे के अनुसार यह २९.८% है.
इस आरक्षण के अलावा संसद में महिला आरक्षण बिल भी लाया जा रहा है जिससे संसद और राज्य विधायिकाओं में ३३% सीटों का आरक्षण महिलाओं के लिए करने का प्रावधान है.
जागो पार्टी हर प्रकार के आरक्षण के ख़िलाफ़ और उसे जड़ से उखाड़ना चाहती है , चाहे वो जाति के आधार पर हो या धर्म के या लिंग के या फ़िर रहने के स्थान के आधार पर.

FAQ 15

15. आप हमारी शिक्षा प्रणाली में अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा के अलावा और क्या बदलाव लाना चाहते हैं? क्या अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा देने से हमारी संस्कृति खतरे में नही पड़ जाएगी?
सारे शासकीय स्कूलों का निजीकरण किया जाएगा और सभी छात्र किसी भी स्कूल में दाखिला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे. छात्रों का सारा (स्कूली) खर्चा सरकार वहन करेगी. पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम होगा और एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा. पढ़ाई में इस बात पर ज्यादा ध्यान होगा कि छात्र क्या सीख रहा है, क्या उसे यह पसंद है, क्या उसकी सोचने और समझने की क्षमता का विकास हो रहा है कि नही, न कि वो रटने में कितना अच्छा है.
उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को बहुत कम दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा जो नौकरी लगने के बाद ही चुकाया जाएगा. गरीब और मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्तियां दी जाएंगी, निजी क्षेत्र द्वारा प्रायोजित शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जाएगा जिससे छात्र उस उद्योग से संबधित ज्ञान प्राप्त करके वहाँ आसानी से नौकरी प्राप्त कर सकें.
हालाँकि अंग्रेज़ी माध्यम अनिवार्य होगा, उसके साथ-साथ एक स्थानीय भाषा भी पढ़ाई जाएगी. अंग्रेज़ी माध्यम से पढने का मतलब अंग्रेज़ी संस्कृति का अध्ययन नही है, अंग्रेज़ी भाषा आज की ज़रूरत है और इसको अच्छी तरह सीखने से हमारी युवा-पीढी को रोज़गार प्राप्त करने में दिक्कत नही होगी.

FAQ 14

14. अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर जागो पार्टी का रुख क्या है?
ऐतिहासिक कारणों से वहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अविश्वास पैदा हुआ है, और ये तभी दूर होगा जब लोग इतिहास को भुलाकर अपने वर्तमान और भविष्य पर ध्यान दें, सभी साथ मिलकर बैठे और सारे विवाद, सारे गिले शिकवे हमेशा के लिए दूर कर लें, अदालत के निर्णय को स्वीकारना भी एक समाधान हो सकता है.

FAQ 13

13. आप सभी को नौकरी कैसे देंगे?
हमारा मानना है कि दुनिया में नौकरियों की नही अच्छी तरह शिक्षित और प्रशिक्षित लोगों की कमी है, नित नए रोज़गार के अवसर बन रहे हैं, नई नई सेवाओं और उद्योगों की नींव रखी जा रही है इन सभी में बढ़िया मानव संसाधनों की ज़बर्ज़स्त कमी है.
और इस कमी को पूरा करने के लिए हमें सही स्कूलों, कालेजों और प्रसिक्षण केन्द्रों की ज़रूरत है, हमारी शिक्षा को और रोजगारोन्मुखी बनने की ज़रूरत है. व्यवसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भी समय के अनुरूप बदलावों की ज़रूरत है. साथ ही हमें साथ सरकारी स्कूलों के परिणामो पर भी ध्यान देना चाहिए और इनको बंद करके उस पैसे से सभी बच्चों को गैर-सरकारी (प्राइवेट) स्कूलों में अंग्रेज़ी मध्यम से पढाया जाना चाहिए.
मानव संसाधनों के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं का विकास भी आवश्यक है, जिसका निर्माण पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर किया जाएगा. इससे भ्रष्टाचार और लाल-फीताशाही पर लगाम लगेगी और नए उद्योग-धंधों के लगने के कारण टैक्स आमदनी भी बढेगी.

FAQ 12

12. क्या आप स्थानीय मुद्दों को उठाते हैं?
नही. जागो पार्टी (चंद वोटों के लिए) स्थानीय/क्षेत्रीय मुद्दे नही उठाती, पर यदि सदस्यों को लगता है कि मुद्दा उठाया जाना चाहिए तो समाज-सेवा के उद्देश्य से, अपने संसाधनों को ध्यान में रखकर वो इस मुद्दे को अधिकारियों के समक्ष उठा सकते है. अगर इसमें उनको पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व की ज़रूरत होगी तो वो मदद के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व को लिख सकते हैं.
अगर पार्टी को लगता है कि किसी स्थानीय/क्षेत्रीय मुद्दे के राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव होंगे और पार्टी के पास मुद्दे को उठाने के लिए पर्याप्त जन-समर्थन है तो पार्टी स्वयं ही मुद्दे को उठाएगी और उसको परिणाम तक पहुंचाएगी.

FAQ 11

11. मैं सिद्धांत रूप में पार्टी की नीतियों का समर्थन करता हूँ पर मैं इसका सदस्य नही बन सकता. मैं पार्टी के लिए क्या कर सकता हूँ?
आप अब भी बहुत कुछ कर सकते हैं. आप लोगों के बीच जागो पार्टी के बारे में जागरूकता का प्रसार कर सकते हैं:
१. www.jago.in वेबसाईट पर सेम्पल ईमेल उपलब्ध है जिसको आप कॉपी-पेस्ट करके लोगों को भेज सकते हैं, इसके अलावा वेबसाईट पर SMS सेम्पल संदेश भी उपलब्ध है जिसका उपयोग भी आप कर सकते हैं.
२. प्रत्यक्ष रूप से आप अपने घर, आफिस या अन्य सामाजिक मौकों पर लोगों को जागो पार्टी के बारे में बता सकते हैं.
३. आप लोगों को जागो पार्टी को आर्थिक सहयोग देने के लिए भी प्रहोत्साहित कर सकते हैं.

FAQ 10

10. पार्टी के एक सदस्य की भूमिका क्या है?
एक प्राथमिक सदस्य पार्टी का समर्थन, पार्टी क संदेश अधिक से आशिक लोगों तक पहुँचाकर कर सकते हैं.
एक सक्रिय सदस्य इसके अलावा वार्षिक सदस्यता शुल्क का भुगतान करता है, विभिन्न स्तरों पर अध्यक्षों क चुनाव करता है, पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों में भाग लेता है और पार्टी की तरफ़ से चुनाव भी लड़ सकता है.

FAQ 9

9. मैं पार्टी का सदस्य कैसे बन सकता हूँ?
केवल अपना नाम, ईमेल, राज्य और शहर में पार्टी की वेबसाईट www.jago.in पर भरें और सबमिट (जमा) करें. आप तुरंत पार्टी के प्राथमिक सदस्य बन जाते हैं.
सक्रिय सदस्यता के लिए कुछ और जानकारी (जैसे जन्म, पता, फोन, योग्यता, पेशा आदि) भरकर वेबसाईट पर सबमिट (जमा) करें. सक्रिय सदस्यता, सदस्यता समिति द्वारा अनुमोदन का विषय है.

FAQ 8

8. आप अपनी पार्टी को कैसे लोकप्रिय बना रहे हैं?
जागो पार्टी ने एक व्यापक अभियान लोगों को अपनी नीतियों के बारे में जागरूक करने के लिए शुरू किया है, इसके अलावा घर, कार्यालय और सामाजिक कार्यक्रमों में पार्टी पर चर्चा; ईमेल, सोशल नेटवर्किंग साइटों जैसे आर्कुट, पत्रिकाओं और टीवी में विज्ञापनों आदि से लोगों तक अपनी बात पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं.

FAQ 7

7. पार्टी चुनावों में होने वाले खर्चों को कैसे पूरा करेगी?
वे लोग जो हमारी नीतियों से सहमत हैं और जागो पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें चुनावी-खर्चों को पूरा करने के लिए अपना पैसा खर्च करना होगा.

FAQ 6

6. पार्टी के धन के स्त्रोत क्या हैं? स्थापित पार्टियों द्वारा खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपयों का मुकाबला आप कैसे करेंगे?
वर्तमान में सक्रिय सदस्यों से 100 रु, 1000 या 5000 प्रतिवर्ष का सदस्यता शुल्क और सदस्यों द्वारा स्वैच्छिक योगदान धन का एकमात्र स्रोत हैं.
संस्थापक सदस्यों ने भी अपनी तरफ़ से राशि उपलब्ध करवाई है, और हमारे अन्य के मित्रों ने भी इसमे योगदान किया है. हम ऐसा मानते हैं की अगर कुछ करोड़ सच्चे भरतीय इस राष्ट्र नव-निर्माण आन्दोलन के साथ जुड़ जाएँ तो वित्त की समस्या ख़त्म हो जाएगी. एक और बात, दूसरी राजनैतिक पार्टियों की तरह पार्टी का वित्त-विवरण छुपा हुआ नही होगा, वह सभी के अवलोकन के लिए इन्टरनेट पर उपलब्ध होगा. (वित्त-विवरण देखने के लिए यहाँ क्लिक करें )
जहाँ तक अन्य पार्टियों द्वारा करोड़ों खर्च करने की बात है, हमारे सेवाभाव और निःस्वार्थ कार्य के सामने ये कुछ भी नही हैं.

FAQ 5

5. आपकी नीतियाँ और सुझाव तो अच्छे हैं पर क्या ऐसा किया जा सकता है?
हमारा मानना है की कार्य को असंभव मानकर अकर्मण्यों की तरह बैठे रहने से अच्छा है कुछ करते हुए ये संतोष पाना की हमने देश के लिए कुछ किया. वैसे आज हम जितनी भी चीज़ें देख रहे हैं वो कल असंभव मानी जाती थी पर अगर वो अविष्कारक और खोजकर्ता इन बातों को सुनकर अपना काम बंद कर देते तो क्या हमारा आज वैसा ही होता जैसा है नही. तो आप भी अपने मन से शंकाओं और डर को बहार भागकर देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए तैयार हो जाएँ.

FAQ 4

4. क्या पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है?पार्टी में अधिकारियों का चयन कैसे होता है?
बेशक, जागो पार्टी को पूरी तरह से लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जाता है. हमारे सक्रिय सदस्य पार्टी जिलाध्यक्ष का चुनाव करते हैं. और पार्टी जिलाध्यक्ष राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्षों का चुनाव करते हैं.

FAQ 2

2. क्या जागो पार्टी चुनाव आयोग में पंजीकृत है? क्या इसके प्रतीक, झंडा और चुनाव चिन्ह हैं?
हाँ. जागो पार्टी चुनाव आयोग द्वारा २८ जनवरी २००८ को पंजीकृत की गई है. चुनाव आयोग का पत्र तस्वीरें और दस्तावेज़ के तहत इस वेबसाइट पर देखा जा सकता है.
जागो पार्टी का प्रतीक www.jago.in वेबसाईट के बाएँ शीर्ष कोने पर देखा जा सकता है, जागो पार्टी का ध्वज सफेद पृष्ठभूमि के मध्य में ऊपर वर्णित प्रतीक हैं. चुनाव चिन्ह चुनाव लड़ने से पहले घोषित कर दिया जाएगा.

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