14 December 2008

FAQ 43

43. क्या गुट-निरपेक्षता किसी देश के सत्तावादी शासन को हटा सकती है?
नही, क्योंकि ऐसा करना उस देश के आतंरिक मामलों में दखल देना होगा, और उस शासन के ख़िलाफ़ सैन्य गठबंधन गुट-निरपेक्षता की भावना के सख्त ख़िलाफ़ है, गुट-निरपेक्षता की सबसे बड़ी कमी यही है, कि किसी देश का शासन वहाँ कि जनता पर अपने विचार थोप रहा है या अत्याचार कर रहा है या जनता द्वारा निर्वाचित नही है, तब भी यह आतंरिक मामला है और इसको हल करने कि ज़िम्मेदारी वहाँ कि जनता की है.
उदहारण के लिए अफगानिस्तान को ही ले लीजिये, नाटो की फौजें वहाँ तालिबान और अल काएदा से लड़ रही हैं पर किसी भी गुट-निरपेक्ष देश की फौज वहाँ नही है. यह आकस्मिक नहीं है वरन यह गुट-निरपेक्षता की अन्तर्निहित भावना है, जो हर मुद्दे को शांतिपूर्वक निपटाना चाहती है. वो कहीं भी युद्ध करना नही चाहती और कर भी नही सकती.
गुट-निरपेक्ष देशों ने अब तक सिर्फ़ हर मुद्दे पर अपनी राय बताई है, किसी भी हिंसक विचारधारा को आप 'गंभीर चिंता व्यक्त करके' या 'केवल शांतिपूर्ण साधनों के द्वारा' बोलकर नही रोक सकते. उसका मुकाबला एकजुट होकर, रणनीति बनाकर बल का उपयोग करके ही सम्भव है.
गुट-निरपेक्षता तो देशों के राष्ट्रीय हितों (सुरक्षा, शान्ति और स्वतंत्रता) के ख़िलाफ़ है क्योंकि वो हिंसक विचारधारा के बारे में चुप है और इससे निपटने के लिए कोई भी नीति गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के पास नही है.
भारत इस विचारधारा को ५० वर्षों तक ढोता रहा पर एक भी युद्ध, एक भी हिंसक विचारधारा को रोक नही पाया, उल्टे इसपर भरोसा करके बार-बार धोखे खाता रहा, इसको हमारी विदेश नीति से हमेशा के लिए निकल देना चाहिए.

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