42. भारत पिछले पचास सालों से गुट-निरपेक्षता की नीति अपनाता आया है, आप इसको क्यों हटाना चाहते हैं?
गुट-निरपेक्षता के अनुसार कोई भी देश किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल नही देगा, आत्म-रक्षा के अलावा किसी भी सूरत में हमला नही करेगा और किसी भी विवाद को आपसी बातचीत से निपटाया जाएगा.
गुट-निरपेक्षता की सार्थकता शीत युद्ध के दौरान थी जब संसार दो धडों में बँटा हुआ था, एक अमरीका दूसरा सोविअत रूस. पर सोविअत रूस के बिखरने के बाद इसकी सार्थकता ख़त्म हो गई है.
गुट-निरपेक्षता तभी काम कर सकती है जब सभी देश शांतिपूर्ण विचारधाराओं का अनुसरण करें पर आज हिसक विचाधारा का बोलबाला है, जे हिंसा द्वारा बदलाव लाने की पक्षधर है. गुट-निरपेक्षता इस स्थिति में कुछ भी करने में सक्षम नही है, क्योंकि वो इनको रोकने के लिए हिंसा का सहारा नही लेना चाहती, यहाँ तक की अगर कोई दूसरा गुट-निरपेक्ष देश इस हमले का शिकार होता है तो भी उसको सैन्य सहायता नही दी जाती.जिन मूल्यों की रक्षा के लिए गुट-निरपेक्षता का जन्म हुआ था वह उन्ही के ख़िलाफ़ उपयोग में आती है.
उदहारण के तौर पर, जब सोविअत रूस ने वियतनाम, क्यूबा, लोस, अफगानिस्तान आदि देशों में ज़बरजस्ती साम्यवाद फैलाने की कोशिश की तब एक भी गुट-निरपेक्ष देश इनकी मदद के लिए सामने नही आया.
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14 December 2008
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