13 December 2008

FAQ 16

16. आरक्षण के किन प्रावधानों को आप हटाना चाहते हैं? इस मुद्दे पर वर्तमान कानूनी स्थिति क्या है?
भारतीय संविधान के मूल रूप में केवल अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था और यह सिर्फ़ दस वर्षों के लिए था यह केवल निर्वाचित निकायों में राजनीतिक प्रतिनिधित्व, सार्वजनिक रोजगार, और शासकीय सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों पर मान्य/लागू था.
इस योजना को हर दस साल के बाद संविधान संशोधन द्वारा आगे बढाया जाता रहा, अनुसूचित जातियों के लिए १५ % और अनुसूचित जनजातियों के लिए ७.५ % आरक्षण शासकीय सेवाओं, केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं और निर्वाचित निकायों में दिया गया. इस २२.५ (साढे बाईस) फीसदी आरक्षण को कालांतर में बढाकर ४९.५ % कर दिया गया, कुछ राज्यों में तो यह इससे भी अधिक है जैसे तमिलनाडु में यह ६९ % है, आंध्र प्रदेश में ४ % आरक्षण मुस्लिमों के लिए भी है (अनु. जा. एवं जन.जा. और अ.पि.व. के अलावा).
वर्तमान स्थिति: सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा ५०% तय कर दी है,और इसके ऊपर किए गए आरक्षण को संविधान के मूल स्वरुप के विरुद्ध माना है. तमिलनाडु की सरकार ने इस आदेश से बचने के लिए अपने आरक्षण अधिनियम को संविधान की ९ वी अनुसूची में शामिल कर दिया है, ज्ञात हो कि ९ वी अनुसूची में मौजूद किसी भी अधिनियम की समीक्षा किसी भी कोर्ट द्वारा नही की जा सकती है.(हालाँकि २००७ के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ९ वी अनुसूची की समीक्षा कोर्ट द्वारा की जा सकती है, पर वह किसी अधिनियम की संविधान के मूल स्वरुप से अनुरूपता सुनिश्चित करने के लिए ही की जा सकती है.)
१० अप्रैल २००८ के एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में २७% आरक्षण को वैध माना पर यह साथ ही यह भी कहा की इस आरक्षण का लाभ अ.पि.व. की 'क्रीमी-लेयर' को न दिया जाए.
अनु.जा./अनु.ज.जा./अ.पि.व. का देश की जनसंख्या में प्रतिशत:
भारतीय जनगणना में केवल अ.जा. और अ.ज.जा. के आंकड़े इकठ्ठा किए जाते हैं. वर्तमान में दोनों को मिलाकर जनसंख्या में कुल प्रतिशत २४.४% है.
१९३१ के बाद से जाति से संबधित आंकड़े गैर-अ.जा./अ.ज.जा. लोगों से इकठ्ठे नही किए गए, यही १९३१ जनगणना मंडल आयोग द्वारा अ.पि.व. की जनसंख्या का आधार बनी, और भारत में अ.पि.व का प्रतिशत ५२% माना गया.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ने १९९९-२००० में किए सर्वे के आधार पर अ.पि.व. की संख्या देश की जनसंख्या का ३६% मानी है, अगर इसमे से मुस्लिम अ.पि.व. को हटा दिया जाए तो यह संख्या ३२% हो जाती है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य मिशन के एक सर्वे के अनुसार यह २९.८% है.
इस आरक्षण के अलावा संसद में महिला आरक्षण बिल भी लाया जा रहा है जिससे संसद और राज्य विधायिकाओं में ३३% सीटों का आरक्षण महिलाओं के लिए करने का प्रावधान है.
जागो पार्टी हर प्रकार के आरक्षण के ख़िलाफ़ और उसे जड़ से उखाड़ना चाहती है , चाहे वो जाति के आधार पर हो या धर्म के या लिंग के या फ़िर रहने के स्थान के आधार पर.

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