38. आप लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का भी निजीकरण करना चाहते हैं, ऐसा क्यों?
ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो लाभ कमा रहे हैं उनको उस क्षेत्र में एकाधिकार प्राप्त है, जैसे रेल, खनिज संसाधन, आदि. अब इसका यह मतलब तो नही की वो लाभ के साथ-साथ ग्राहक-संतुष्टि पर भी ध्यान दे रहे हैं, रेल को ही ले लें क्या आपकी यात्रा टिकट लेने से लेकर स्टेशन के बाहर निकलने तक सुखद होती है? इसके पीछे एक साधारण सी बात है, सार्वजनिक उपक्रम सरकारी विभागों की तरह काम करते हैं ना की निजी उपक्रमों की तरह जिनका मुनाफा ग्राहक के संतुष्ट होकर जाने से ही सुनिश्चित होता है.
वैसे भी सार्वजनिक उपक्रमों फैदा कमाने या फ़िर ग्राहकों की सेवा के लिए नही बनाया गया था, बल्कि वो तो भारत को कुछ क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाए गए थे. उस समय यह बात मानी भी जा सकती थी की निजी क्षेत्र के पास पूँजी का अभाव है पर ये बात आज मान्य नही है. भारत के अन्दर और बाहर दोनों जगह पूँजी और तकनीक लगाने वालों की अब कमी नही, फ़िर भी हम इन सफ़ेद हाथियों को ढोए चले जा रहे हैं और जनता की सहूलियत को दरकिनार कर रहे हैं.
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14 December 2008
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