13 December 2008

FAQ 17

17. कुछ जातियों के साथ सदियों से भेदभाव होता आया है, आरक्षण नीति इस भेदभाव द्वारा पैदा हुई खाई को पाटने के लिए लाई गई थी आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?
ये सही है की इन जातियों के साथ भेदभाव हुआ है, और जाति व्यवस्था को जो सामाजिक और सांस्कृतिक समर्थन प्राप्त था उसका खात्मा भारत के आजाद होने के बाद ही हो जाना चाहिए था. मूल्य-आधारित रोजगारोन्मुखी शिक्षा बहुत आसानी से इससे निपट सकती थी और समाज भी जाति-व्यवस्था का विरोध करके इसका समर्थन कर सकता था. पर समाज के सबसे बड़े पैरोकार, हमारे नेताओं ने आसान रास्ता चुनते हुए आरक्षण से जाति-व्यवस्था को स्थायी रूप दे दिया. इन लोगों ने ये अफवाह भी फैला दी की निचली जातियों को न्याय तभी मिलेगा जब उनको आरक्षण मिलेगा, कुछ नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया की प्राइवेट (निजी) क्षेत्र में भी आरक्षण किया जाए!
किसी भी राष्ट्र का विकास तब तक नही हो सकता जब तक वहाँ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और योग्यता को समान नही दिया जाता, इस सस्ती वोट-बैंक राजनीति ने हमारे युवाओं के मनोबल को बहुत नीचे गिरा दिया है, हम सभी ने सुना है कि किस प्रकार भारतीयों ने पूरी दुनिया में झंडे गाडे हैं फ़िर अपने देश में ऐसा क्या हो जाता है कि हम वो करिश्मा भारत में नही कर पाते?
इस नीति कि सबसे बड़ी खामी यह है कि दो योग्य व्यक्तियों को यह एक साथ नही करती पर अलग-अलग कर देती है, और ध्यान मूलभूत बदलाव का नही है बल्कि वोट जुगाड़ने का है वरना शुरुआत होती प्राथमिक शिक्षा से न कि उच्च शिक्षा या सरकारी सेवाओ से (कुल २ करोड़ पदों में से १ करोड़ आरक्षित), जो अधिक से अधिक केवल २% जनसंख्या को ही फायदा पहुँचा सकती हैं, बाकी बचे ९८% लोगों के बारे में कोई नही सोचता और पूछता (अ.जा./अ.ज.जा./अ.पि.व. की कुल जनसंख्या लगभग ६० करोड़ भारत की जनसंख्या १०० करोड़).
इसलिए जागो पार्टी आरक्षण के ख़िलाफ़ है, पर शिक्षा/प्रशिक्षण के लिए हम सभी को अधिक से अधिक सहायता देने के पक्षधर हैं, जिससे हर व्यक्ति के लिए समान अवसर और माहौल हो आगे उसकी योग्यता और मेहनत. इससे न सिर्फ़ ज़रूरतमंदों की असल में मदद होगी पर साथ ही राष्ट्र की प्रगति भी होती जाएगी और पूर्व में की गई गल्तियों का सुधार भी होगा.

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